राष्ट्रीयता क्या होती है।
राष्ट्रीयता वह गुण
है जो किसी विशिष्ट जाति या राष्ट्र की सदस्यता से उत्पन्न होता है और जो किसी व्यक्ति
की राजनीतिक स्थिति या उसका राज्य और नागरिक के बीच स्थापति निरन्तर चलने वाल वैध सम्बन्ध
है।
राष्ट्रीयता के अर्थ
के बारे में विभिन्न विद्वानों का मत निम्न है-
फेन्विक के अनुसार, ‘‘ राष्ट्रीयता एक ऐसा बन्धन है जो व्यक्ति को राज्य के साथ सम्बद्ध करके उसे राज्य-विशेष का सदस्य बनाता है और उसे राज्य के सरंक्षण का अधिकार दिलाता है तथा उसका उत्तरदायितव होता है कि वह राज्य द्वारा बनाये गए कानूनों का पालन करें।’’
केल्सन के अनुसार, ‘‘नागरिकता या राष्ट्रीयता एक व्यक्ति की वह स्थिति है जिससे वैध रूप में वह किसी राज्य का सदस्य है और अलंकारिक रूप से उस समुदाय का सदस्य कहा जा सकता है।’’
हाइड के अनुसार, ‘‘राष्ट्रीयता एक व्यक्ति और राज्य के बीच उस सम्बन्ध को प्रकट करती है जिससे राज्य अनेक आधारों पर यह समझ लेता है कि उस व्यक्ति की निष्ठा उस राज्य के प्रति है।’’
स्टार्क के अनुसार, ‘‘राष्ट्रीयता व्यक्तियों की सामूहिक रूप से सदस्यता की स्थिति है तथा इसके द्वारा व्यक्तियों के कार्य, फैसले तथा नीति का प्रतिनिधित्व राज्य की विधिक धारणा द्वारा होता है।’’
इसके निर्धारण कैसे किये जाता है।
राष्ट्रीयता का निर्धारण
राष्ट्रीयता के नियम राज्य विधि द्वारा निर्धारित
होते है तथा प्रतयेक राज्य अपने संविधान के अनुसार इस सम्बन्ध में प्रावधान कर सकता
है
जस्टिस ग्रे के अनुसार, ‘‘राज्य यह निर्धारित कर सकता है कि किस वर्ग
या प्रकार के लोग नागरिकता के अधिकारी होंगे। भरतीय संविधान के अनुच्छेद 5 के अनुसार, प्रत्ये कवह
व्यक्ति भारतीय नागरिक होगा जो संविधान के लागू होने के समय भारत का अधिवासी था तथा
जो या तो
क. भारतीय-क्षेत्र में जन्मा था
ख. जिसके माता-पिता भारतीय क्षेत्र में रह रहे थे
ग. जो संविधान के लागू होने से पहले खासतौर से
कम से कम पॉच वर्ष तक भारतीय क्षेत्र में रहे हों। राष्ट्रीयता के निधा्ररण का प्रश्न
राष्ट्र विधि के क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत आता है,
अन्तर्राष्ट्रीय
विधि के अन्तर्गत नहीं। अन्तर्राष्ट्रीय सम्पर्क तथा यातायात बढ़ने के कारण नागरिक राष्ट्रीयता
की विधियों में प्रायः विरोध उत्पन्न हो जाता है सन् 1930 के हेग के
संहिताकरण सम्मेलन ने राष्ट्रीयता के सम्बन्ध में बहुत से लेखों को स्वीकार किया है।
उदाहरणार्थ,- राष्ट्रीयता की विधियों में अभिसमय, राष्ट्रीयता
के प्रभाव पर संलेख आदि।’’
राष्ट्रीयता के महत्व बताये।
राष्ट्रीयता का महत्व
स्टार्क के अनुसार, अन्तर्राष्ट्रीय विधि में राष्ट्रीयता का महत्व निम्न प्रकार है-
1. राजनयिक प्रतिनिधियों
के संरक्षण के अध्किार राष्ट्रीयता के ही परिणाम स्वरूप है।
2. यदि कोई राज्य अपनी राष्ट्रीयता वाले किसी व्यक्ति को ऐसे हानिकारक कार्य
करने से नहीं रोकता है जिनका प्रभाव दूसरे राज्य पर पड़ता है तो वह राजय उस व्यक्ति
के कार्यों के लिए दूसरे राज्य के प्रति उत्तरदायी होगा।
3. राज्य अपनी राष्ट्रीयता
वाले व्यक्तियों को लेने से इन्कार नहीं करते।
4. राष्ट्रीयता से तात्पर्य स्वामिभक्ति से भी होता है, अतः राष्ट्रीयता
का एक गुण यह भी होता है कि व्यक्ति अपनी राष्ट्रीयता वाले देश में सैनिक सेवा के लिए
बाध्य किया जा सकता है
5. किसी राज्य को अपनी राष्ट्रीयता वाले व्क्ति का प्रत्यप्रण करने से इन्कार
करने का अधिकार होता है।
6. राज्यों के व्यवहार के अनुसार युद्ध के समय शत्रु-रूपता राष्ट्रीयता के आधार
पर निर्धारित होती है।
7. बाहय प्रादेशिकाता के सिद्धान्तानुसार राज्य अपनी राष्ट्रीयता वाले व्यक्ति
के उपर आपराधिक तथा अन्य मामलों में क्षेत्राधिकार रखते है।