पट्टे कैसे किये जाते है पट्टा कब समाप्त तथा जब्त हो जाता है।
धारा 107 के अनुसारः-
1. अचल सम्पत्ति का पट्टा जो वर्षानुवर्ष हो या एक वर्ष से अधिक किसी भी अवधि का हो, केवल रजिस्टर्ड दस्तावेज द्वारा ही किया जा सकता है।
2. अचल सम्पत्ति के अन्य सभी पट्टे जो एक वर्ष के लिये हों या इससे कम अवधि के लिये हों
1. रजिस्टर्ड दस्तावेज द्वारा
2. मौलिक करार द्वारा, जिसके साथ पट्टे की सम्पत्ति का परिदान भी हो, किये जा सकते है।
3. किसी भी अचल सम्पत्ति का पट्टा यदि वह रजिस्टर्ड लिखित द्वारा किया गया हो तो वह लिखत या यदि एक से अधिक लिखत हों तो प्रत्येक लिखत (दस्तावेज) पट्टाकर्त्ता और पट्टेदार दोनों निष्पादित की जायेंगी।
परन्तु धारा 107 के परन्तुक का कहना है कि राज्य सरकार समय-समय पर शासकीय-पत्र में प्रकाशित करके यह आदेश दे सकती है कि अचल सम्पत्ति के पट्टे जो वर्षानुवर्ष न हों या एक वर्ष की अवधि से अधिक समय के लिये न किये गये हों या जिनमें वार्षिक भाटक आरक्षित न हो, बिना रजिस्टर्ड दस्तावेज के या केवल मौखिक करार द्वारा बिना कब्जे के परिदान द्वारा किये जा सकते है।
पट्टा कब समाप्त तथा जब्त हो जाता है।
पट्टों की समाप्तिः- धारा 111 के अनुसार, एक पट्टे निम्न अवस्थाओं में समाप्त हो जाता है-
1. पट्टे की अवधि की समाप्ति पर:- पट्टे की अवधि की सीमा निश्चित होने से उसका अन्त भी निश्चित होता है। अतः अवधि की समाप्ति पट्टे की समाप्ति का एक प्रमुख तरीका है। जब पट्टे की अवधि निर्धारित न की गई हो तो ऐसी स्थिति में कृषि से सम्बन्धित पट्टे की अवधि वर्षानुवर्ष और अन्य पट्टों की अवधि मासानुमासी मानी जायेगी।
2. किसी घटना के घटित होने पर:- जहाँ पट्टा किसी घटना के घटित होने की शर्त पर आधारित हो वहाँ ऐसी घटना घटित होने पर पट्टा समाप्त हो जाता है। उदाहरणार्थ- अ ने ब को अपनी जमीन का पट्टे अपने जीवन काल के लिये दिया। यह पट्टा अ की मृत्यु पर समाप्त माना जायेगा।
3. पट्टाकर्त्ता के हित की समाप्ति पर:- जब पट्टाकर्त्ता का हित पट्टे की भूमि में समाप्त हो जाता है तो पट्टा भी समाप्त हो जायेगा। उदाहरणार्थ- एक हिन्दू विधवा स्त्री का सम्पत्ति पर जीवन काल तक हित रहता है। ऐसी स्त्री की मृत्यु पर उसके द्वारा लिया गया पट्टा भी स्वतः समाप्त हो जाता है।
4. विलय द्वारा: -जब पट्टाकर्त्ता और पट्टाधारी के हितो का परस्पार पूर्ण रूप से विलय हो जाता है तो पट्टा समाप्त हो जाता है। ऐसा तब होता है जब पट्टाधारी प्रत्यावर्तन (अवशिष्ट स्वामित्व) खरीद लेता है। उदाहरणार्थ- अ ने अपना एक खेत, ब, स और द को पट्टे पर दिया। तत्पश्चात् ब ने स और द के पट्टे के हितों को, खरीद लिया और इसके बाद उसने अ के अवशिष्ट स्वामित्व के अधिकार को भी खरीद लिया। इस प्रकार स और द के पट्टाजन्य हित तथा अ का बकाया स्वामित्व एक ही स्तर में निहित होने से विलय द्वारा पट्टा समाप्त हो जायेगा।
5. स्पष्ट समर्पण द्वारा:- जब पट्टाधारी पट्टे के अन्तर्गत अपना हित आपसी करार द्वारा पट्टाकर्त्ता के प्रति छोड़ देता है तो पट्टे का अन्त स्पष्ट समर्पण द्वारा माना जाता है। यह तत्काल लागू हो जाता है और इसका कब्जा भी तुरन्त हो जाता है। ऐसे समर्पण के लिये केवल पक्षों की सहमति पर्याप्त होती है तथा किसी प्रकार के दस्तावेज पर रजिस्ट्री की आवश्यकता नहीं होती।
6. उपलक्षित समर्पण द्वारा:- जब किसी भूमि का नया पट्टा किया जाता है तो वहाँ पुराना पट्टा स्वतः समाप्त हो जाता है। उदाहरणार्थ- पट्टाकर्त्ता सम्पत्ति का नया पट्टा अपने वर्तमान पट्टे के चालू रहने के दौरान प्रभावी होने के लिए स्वीकार करता है तो यह पूर्वोक्त पट्टे का उपलक्षित समर्पण है और इससे पुराना पट्टा समाप्त हो जाता है।
7. जब्ती द्वारा- धारा 111 (g) के अनुसार, निम्न अवस्थाओं में जब्ती द्वारा पट्टा समाप्त माना जाता है-
1.स्पष्ट शर्त का भंग- जहाँ पट्टाधारी किसी शर्त को भंग करता है जिससे उपबन्धित है कि उसका भंग होने पर पट्टाकर्त्ता पुनः प्रवेश कर सकेगा। उदाहरणार्थ- अ एक खेत का पट्टा ब को इस शर्त पर देता है कि ब उप-पट्टा नहीं देगा और यदि वह किसी अन्य व्यक्ति को उप-पट्टा देगा तो अ को पुनः कब्जा लेने का अधिकार होगा। ब ने स को उप-पट्टा कर दिया अ पट्टे को जब्त कर सकता है।2. भूस्वामी के हक से इन्कार- जहाँ पट्टाधारी किसी अन्य व्यक्ति का हक खडा करके या यह दावा करके कि वह स्वयं भूमि का हकदार है अपनी पट्टेदारी की हैसियत का त्याग करता है,3. दिवालियापन- जहाँ पट्टेधारी न्यायालय द्वारा दिवालिया घोषित कर दिया जाता है और पट्टा यह उपबन्ध करता है कि पट्टाकर्त्ता ऐसी घटना से घटित होने पर पुनः प्रवेश कर सकेगा और जबकि उन दशाओं में से किसी में पट्टाकर्त्ता या उसका अन्तरिती पट्टेधारी के पट्टे को खत्म करने के अपने इरादे की लिखित सूचना देता है।8. सूचना द्वारा:- धारा 111 (4) के अनुसार, पट्टे को समाप्त करने का या पट्टे पर दी गई सम्पत्ति को छोड़ देने या छोड़ देने के इरादे की एक पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष की उचित रूप में दी गई सूचना के खत्म होने पर पट्टा खत्म हो जायेगा। अतः एक दूसरे को सूचना देकर पट्टाकर्त्ता और पट्टेधारी दोनो ही पट्टे को समाप्त कर सकते है। सामान्यतः नोटिस के द्वारा पट्टे की समाप्ति, मियादी पट्टे, शाश्वत पट्टे, वर्षानुवर्षी पट्टे, मासानुमासी पट्टे तथा सम्पहरण या जब्ती के मामलों में की जाती है।