राष्ट्रीयता प्राप्त करने के ढंग
ओपेनहेम के मतानुसार, अन्तर्राष्ट्रीय विधि के अनुसार राष्ट्रीयता प्राप्त करने के निम्न पॉच ढग है-
1. जन्म से - राष्ट्रीयता प्राप्त करने का सर्वप्रथम महत्वपूर्ण ढंग व्यक्ति का जन्म स्थान है। यह भूमि सम्बन्धी नियम (Jus Soil) अर्थात् जन्म का क्षेत्र या स्थान के अनुसार या रक्त सम्बन्धी नियम (Jus Sanguinis) अर्थात् जन्म के समय माता-पिता की राष्ट्रीयता के अनुसार, अर्थात् वंशानुक्रमानुसार या दोनों के अनुसार हो सकती है। कोई व्यक्ति जिस राष्ट्र में जन्म लेता है वह वहीं की राष्ट्रीयता प्राप्त कर लेता है या जन्म के समय जो उसके माता-पिता की राष्ट्रीयता होती है वही उसे भी प्राप्त हो जाती है। संसार के अधिकांश लोगों को जन्म से ही राष्ट्रीयता प्राप्त होती है। जर्मनी में पैतकृता को राष्ट्रीयता का प्रतीक माना जाता है भले ही बच्चा अपने देश में पैदा हुआ हो या विदेश में। पिता की राष्ट्रीयता के आधार पर ही उसकी राष्ट्रीयता निर्धारित की जाती है अर्जेनटाइना में नवजात शिशु वहीं का राष्ट्रीय माना जाता है जिस राज्य के क्षेत्र में उसका जन्म हुआ है। ग्रेट-ब्रिटेन और अमेरिका में मिली-जुली पद्धति अपनाई जाती है।
2- देशीयकरण - जब किसी राष्ट्र में रहने वाला कोई विदेशी व्यक्ति उस देश की नागरिकता प्राप्त कर लेता है तो उसे देशीयकरण कहते है। केल्सन के अनुसार, देशीयकरण किसी राज्य का प्रशासकीय कार्य है जो किसी विदेशी को नागरिकता प्रदान करता है। परन्तु अन्तर्राष्ट्रीय विधि के अन्तर्गत राष्ट्रीयता निश्चित सिद्धान्तों के आधार पर ही प्रदान की जा सकती है। ऐसा तभी सम्भव है जबकि विदेशी व्यक्ति इस आशय का आवेदन करता है। इसके अलावा अन्य कोई देशीयकरण का दावा नहीं कर सकता।
देशीयकरण छः प्रकार से होता है-
· विवाह अर्थात् पत्नी द्वारा पति की राष्ट्रीयता को स्वीकार करना।
· औरसीकरण जिसके द्वारा जारज शिशु अपने पिता की राष्ट्रीयता को प्राप्त करता है।
· विकल्प
· स्थायी निवास की प्राप्ति
· सरकारी पद पर नियुक्ति
· राज्य अधिकारियों को प्रार्थना-पत्र देने पर स्वीकृति।
3- पुनर्ग्रहण द्वारा- कुछ व्यक्ति चिरकाल तक बाहर रहने या वहॉ के देशीयकरण के कारण अपनी मौलिक राष्ट्रीयता खो देते है, ऐसे व्यक्ति कुछ शर्तों की पूर्ति करने पर अपने देश की नागरिकता पुनः प्राप्त कर सकते है।
4- पराज्य द्वारा- जब कोई राज्य पराजित हो जाता है तो उस राज्य के सभी नागरिक विजयी राज्य की राष्ट्रीयता को प्राप्त करते है।
5- हस्तांतरण द्वारा- जब किसी राष्ट्र का अन्य किसी राष्ट्र में हस्तान्तरण हो जाता है तो जिस राष्ट्र में उस प्रदेश का हस्तान्तरण हुआ है, उस देश की राष्ट्रीयता हस्तान्तरित प्रदेश के व्यक्तियों को प्राप्त हो जाती है।
राष्ट्रीयता के समाप्त होने के ढंग
ओपेनहेम के अनुसार, राष्ट्रीयता पॉच प्रकार से समाप्त हो सकती है।-
1- मुक्ति द्वारा- कुछ राष्ट्रों ने इस प्रकार की नागरिक विधि बनाई है जिसके अन्तर्गत वह अपने नागरिकों को राष्ट्रीयता से मुक्ति प्राप्त करने की अनुमति प्रदान करते है। ऐसी मुक्ति के लिए प्रार्थना करना आवश्यक है। यदि प्रार्थना स्वीकार हो जाती है तो प्रार्थी उस देश की राष्ट्रीयता से मुक्त हो जाता है। उदाहरणार्थ- जर्मनी अपने नागरिकों को राष्ट्रीयता से मुक्त करने की प्रार्थना का अधिकार देते है।
2- अपहरण द्वारा- प्रायः राज्यों की विधि के अन्तर्गत यह प्रावधान होता है कि उस राष्ट्र का नागरिक उस राष्ट्र की आज्ञा के बिना दुसरे राष्ट्र में नौकरी कर लेता है तो उसे उसके राष्ट्र की राष्ट्रीयता से वंचित कर दिया जाता है।
3- समाप्ति द्वारा- कुछ राष्ट्रों की नागरिक विधि में इस प्रकार का प्रावधान होता है कि यदि कोई व्यक्ति उस देश के बाहर बहुत समय तक रहता है तो उसकी नागरिकता स्वतः समाप्त हो जाती है।
4- परित्याग द्वारा- जब एक व्यक्ति एक से अधिक राष्ट्रों का नागरिक हो जाता है तब ऐसी अवस्था में उसे चुनना पड़ता है कि वह किस देश का नागरिक रहेगा। अतः उसे स्वयं किसी एक देश की नागरिकता का परित्याग करना पड़ता है।
5- स्थानापन्न द्वारा- कुछ राज्यों की विधि के अनुसार उनकी प्रजाओं की नागरिकता उनके विदेश में नागरिकता प्राप्त करने के कारण समाप्त हो जाती है। स्थानापन्न के अनुसार, एक राष्ट्र की राष्ट्रीयता के स्थान पर उस व्यक्ति को दूसरे राष्ट्र की राष्ट्रीयता प्राप्त हो जाती है।
राष्ट्रीयता को प्राप्त करने तथा खोने (समाप्ति) के तरीकों का उल्लेख कीजिये।
राष्ट्रीयता को प्राप्त करने तथा खोने (समाप्ति) के तरीकों का उल्लेख कीजिये।